हरिवंश राय बच्चन जीवन परिचय

(सन 1907-2003)

हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 November सन 1907 को इलाहाबाद के  प्रतापगढ़ जिले के बाबूपट्टी नामक छोटे से गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्सवती देवी  था। ये एक कायस्थ परिवार से ताल्लुक रखते थे।

Harivans Rai Bacchan Jivan Parichay हरिवंश राय बच्चन जीवन परिचय Harivans Rai Bacchan Jivan Parichay Hindi,rachnaye
Harivansh Rai Bachhan Jivan Parichay

 

 

इनको ,इनके बचपन में इनके माता-पिता बच्चन नाम से बुलाते थे, बच्चन का मतलब बच्चा होता है। जिससे यही बच्चन बाद में  हरिवंश राय जी ने अपने नाम के आगे लगा लिया था।

 

हरिवंश राय बच्चन का शैक्षिक जीवन:

हरिवंश राय बच्चन की प्रारम्भिक शिक्षा की शुरुआत उर्दू से हुयी थी। सन 1938 में इन्होंने इलाहाबाद यूनिवरसिटी से एम् ए इंग्लिश से किया। एम् ए करने के कुछ समय बाद ये इलाहाबाद के यूनिवरसिटी में ही प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त हो गये।

इन्होंने यहाँ पर 1952 तक कार्य किया,इसके बाद ये सन 1952 में इंग्लिश से पी एच डी करने के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज यूनिवरसिटी चले गये। जहा पर इन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त किया।

 

हरिवंश राय बच्चन का वैवाहिक जीवन:

इनका विवाह 19 साल की उम्र में सन 1926 को श्यामा से हुआ था।कुछ सालों बाद इनकी पंत्नी श्यामा श्रीवास्तव को टी वी नामक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था जिसके चलते सन 1936 में इनकी पंत्नी की मृत्यु हो गयी।

ये केवल दस साल तक ही अपनी धर्म पंत्नी के साथ समय व्यतीत कर पाये थे। पंत्नी की मृत्यु के 5 वर्ष बाद सन 1941 में इन्होंने दूसरी शादी तेजी देवी से कर लिया। जिसके बाद हरिवंश राय को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई अजिताभ तथा अमिताभ।

 

हरिवंश राय बच्चन का साहित्यिक जीवन:

इनकी कविता मधुशाला सन 1935 में काफी ज्यादा पसंद की गयी , जिससे इनका नाम काफी लोग जानने लगे। मधुशाला की कड़ी में इन्होंने दो और कविताएं लिखी मधुकलश तथा मधुबाला।इन्होंने कुछ समय तक रेडियो जॉकी में भी कार्य किया था।

हरिवंश राय बच्चन सन 1955 में दिल्ली में एक्सटर्नल बिभाग में शामिल हुए, तथा यहाँ पर इन्होंने 10 वर्षों तक कार्य किया। इनका नाम राज्य सभा के सन 1966 ई० में निर्देशित हुआ। सन 1970 में भारत सरकार ने इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा।

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हरिवंश राय बच्चन को मिला पुरस्कार:

जब ये इलाहाबाद यूनिवरसिटी में पढाई पूरा कर चुके थे, तब इन्हें 42 संस्कारी छात्रों की सुची में रखा गया,तथा इन्हें  भूतकाल का गर्बित छात्र का सम्मान भी दिया गया। सन 1968 में इन्हें ,इनकी ‘दो चट्टानें ‘कृति  के लिये हिंदी साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया।

इसके बाद इन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। इनको एफो एशियाई सम्मलेन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। हरिवंश द्वारा लिखित आत्मकथा के लिए इन्हें विडला फाउंडेशन ने सरस्सवती पुरस्कार से सम्मानित किया। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में  योगदान के लिये सन 1976 में इन्हें पदम् भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया।

हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ:

इन्होंने अपने जीवनकाल में बहुत सारे रचनाएँ किये है जिनमे आत्मकथा,कविता संग्रह आदि शामिल है।इनका लगाव सुमित्रानंदन पंत से काफी रहा है,जिसके कारण इन्होंने उनके नाम पर कई रचनाएँ लिखे है जैसे-कवियों में सौम्य सन्त पन्त,आज के लोकप्रिय कवी सुमित्रनंदन पन्त ,पन्त के सौ पुत्र आदि।

 

 इनके कुछ आत्मकथा इस प्रकार है-

  • नीड़ का निर्माण फिर
  • दासद्वार से सोपान तक
  • क्या भूलू क्या याद करू
  • बसेरे से दूर

इनके द्वारा लिखित कविता संग्रह इस प्रकार है-

  • आत्मपरिचय
  • निशा निमंत्रण
  • आकुल अतर
  • सतरंगिनी
  • बंगाल का काल
  • तेरा हार
  • मधुबाला
  • मधुशाला
  • मधुकल
  • आरती और अंगारे
  • मिलन यामिनी
  • बुद्ध और नाच घर
  • चार खेमे चौसठ खूंटे
  • प्रणय पत्रिका
  • दो चट्टाने
  • सूत की माला
  • धार के इधर-उधर
  • मिलान यामिनी
  • हलाहल
  • उभरते प्रतिमाओं के रूप
  • नई से नई-पुराणी से पुरानी
  • बहुत दिन बीते
  • जाल समेटा
  • बुद्ध और नाचघर

हरिवंश द्वारा लिखित कुछ अन्य कृतियां-

  • सोपान
  • मैकबेथ
  • कवियों में सौम्य संत पन्त
  • आज के लोकप्रिय हिंदी कवी सुमित्रानंदन
  • उमर खय्याम की रुबाईया
  • अभिनव सोपान
  • आधुनिक कवि
  • जनगीत
  • बच्चन के साथ क्षण भर
  • ओथेलो
  • चौसठ रुसी कविताएं
  • हैमलेट
  • टूटी छूटी कड़िया
  • पन्त के सौ पुत्र
  • नागर गीत
  • डब्लू वी यीट्स एंड अकल्टिम
  • भाषा अपनी भाव पराये
  • प्रवास की डायरी
  • मरकत द्वीप का स्वर
  • नेहरू राजनीतिक जीवन चरित्र

हरिवंश राय बच्चन की भाषा-शैली:

इनकी भाषा खड़ी बोली हिंदी थी। सामान्य बोलचाल की भाषा को इन्होंने काब्य की भाषा का भी गरिमा प्रदान किया। इनकी सबसे लोकप्रिय रचना मधुशाला थी। मधुशाला रचना लोकप्रिय होने के कारण इन्होंने इसकी दो कड़िया और निकाली मधुबाला तथा मधुकलश।

हरिवंश राय बच्चन का स्वर्गवास:

19 जनवरी सन 2003 को साँस लेने में तकलीफ की वजह से हरिवंश राय बच्चन जी की मृत्यु मुम्बई में हो गयी थी। इनकी जैसी विचार धारा वाले कवि बहुत ही कम पैदा होते है। इनका लगाव सबसे ज्यादा सुमित्रानंदन पंत से रहा है। इनके जैसे महान कवि बहुत कम ही मिलते है।