मेरी एक व्यक्तिगत भावना ,जो मैंने monolog के रूप दे दरसाया है |
ठंडक का मौसम, कुहरे से घिरी राते, सरसराती हवाएं, रजाई में घूसा हुआ ठुरथुरता बदन
घड़ी की टिक टिक करना और तिर्रर्रर्रर्रर्रर्रर करती हुई धीमी आवाजे……
हमे तो आज ना जाने नींद क्यों नही आ रही थी। बेचैनी बढ़ती जा ही रही थी,
अचानक से किसी कुत्ते की भोकने की आवाज आ रही थी
मैं घर के पास वाले सड़क पर गया।
वहाँ एक भिखारी घनघोर कोहरे में पेड़ के नीचे फटे हुए कपड़े ,छोटी सी चद्दर में खुद को लपेटने की कोशिश कर रहा था ।
मुझे लगा कुत्ता शायद भिखारी पे भोक रहा है ,मैं लौटने लगा कि कोहरे को चीरते हुए एक अभुलेंस जोर जोर से आवाज करते हुए गुजरी ।
पता चला कि बगल के गाँव मे कार और बाइक की कोहरे के कारण टक्कर हो गया ,बाइक वाला युवा घायल हो गया था। मैं एक पल के लिए सोच में पड़ गया …..
अरे ये क्या ओ कुत्ता भोकना बंद ही नही कर रहा था।नजदीक जा के देखा तो ओ कुतिया थी , उसका पिल्ला किसी ट्रक के नीचे आ के मर गया था । भोकती क्यों नही माँ जो थी ।
बेटे की मृत्यु से शायद पागल हो गयी थी।मुझे तो कुछ समझ मे नही आ रहा था । सर को नीचे किया हुए फिर से आ के बिस्तर पे सो गया।
अब मानो ऐसा लगने लगा कि मेरा बिस्तर कुरुक्षेत्र मैदान हो गया हो ,लग रहा था सारे सैनिक मर चुके है और मैं इस सन्नाटे भारी रात में खुद को तीर सैया पे लेटा हुआ भीष्मपितामह जैसा महसूस कर रहा था।
नींद तो आनी ही मानो बंद हो गयी थी।
ना जाने रात में कब आँख लग गयी।सुबह के 5 बजे नींद खुल गया ,मुझसे रहा नही गया मैं फिर से वही चौराहे पे आ गया जहाँ ………
सुबह में एक होटल वाला चाय बना रहा था।मैं चाय पीने के लिए उस छप्पर वाले कि दुकान में घुसा ,उसकी बीबी ठंड से ठिठुरते हुए गिलास दो रही थी । एक बेटी थी जो बेसन सान रही थी ,पकौड़े बनाने के लिए…
ऐसा लग रहा था मैं पहला कस्टमर हु उसका ,
क्यों कि अभी सब तैयारी ही चल रही थी ।उसके मोबाइल में Om jai jagdish hare swami jai jagdish hare…… सांग चल रहा था ।
शोरगुल करते हुए कुछ बच्चे उसी कुतिया को खदेड़ रहे थे ,मैने एक से पूछ तो बोला बाबूजी ओ पागल हो गयी है अब तक दो लोगो को काट चुकी है।
मैं बिना चाय पिये बाहर निकल आया ।
न जाने क्या गूँजने लगा दिलो दिमाग में,
मैने कहा हे ईश्वर कभी समय मिले तो मुझ अबोध बालक नीरज को इस सांसारिकता का कुछ ज्ञान देने आ जाना ।
वैसे तो तेरे पास हर कोई को आना है कभी न कभी ,
पर मुझ जैसे अनेको अज्ञानियो को ज्ञान देने कब आएगा ……
तेरा बनाया हुआ खिलौना – नीरज मौर्या
समाबोध- जनझाल
लेखक- #Neeraj_Maurya………
मैं आशा करता हूँ की मेरा ये monologआप को पसंद आया होगा |वैसे इसे मैंने ऐसे लिख दिया |इसका कोई खाश मतलब नहीं था मेरा बस मैंने एक भावना को प्रकट किया है |बस ये केवल और केवल एक monolog है बस monolog ही है|
7,383 total views, 1 views today