Bachpan ke 10 andhvishwas

Bachpan ke 10 andhvishwas जो हम सब आंखे मूंद कर मान लेते थे। बचपन बहुत सलोना और नाजुक होता है ,उस समय पे बच्चो को अच्छा ज्ञान देना चाहिए।उन्हें अच्छी तरह से तराशना चाहिए ,कहने का मतलब जो वो हो रहे समाज मे देखते हैं वही सीखते हैं चाहे वो विश्वसनीय हो या न हो। बाल्य अवस्था से भोला कुछ नही होता।

उस समय की सारी हरकते ,खेल कूद ,गली गलौज,हँसी मज़ाक बस एक याद बनकर रह जाती है,ऐसी याद जिन्हें सोचकर हम खुश भी होते हैं और दुखी भी ,पर फिर से वही जिंदगी जीने की अभिलाषा रखते हैं और कभी नही जी सकते वैसा।इसलिए तो कह रहा हूँ बचपन है तो खुशियों से जी लो वरना जवानी में क्या रखा है।इसी के साथ आप की भी यादें तरो ताजी हो रही है। Bachpan ke andhvishwas

वो अलग बात है कि आप बाप बनने वाले हैं या बन चुके हैं ,पर आप अपने बच्चों की उनकी बचपना के लिए कितना छूट देंगे वो मैं नही जानता ,हाँ लेकिन खुद से वादा करो कि एक अच्छा बाप बनूँगा और अपने बच्चों को वो सारी खुशियां दूंगा जो मुझे मिली या मेरे बचपने को नही मिली थी! 

हमारी बचपना यादों में रह गयी ,पर आज हम अपने बच्चों की बचपना को यादगार बना सकते हैं।मोबाइल कैमरे में कैद कर के क्योंकि अब हर प्रकार की टेक्नॉलजी आप के जेब मे है। अपनी यादों को ताजा करने के लिए में लाया हूँ Bachpan ke 10 andhvishwas जो हम सब आंखे मूंद कर मान लेते थे। 

दूबों को बांधकर खोया सामान ढूढ़ना….

पता नही किसने कहा दिया था कि दूब बांधो और खोया हुआ समान ढूंढो तो मिल जाएगा ,और जब मिल जाये तो दूब को खोल दो ,क्या आप ने भी अपने बचपन में ऐसा कुछ किया है ।भाई मैंने तो किया है जब मेरी काँच की गोलियां खो जाती थी या 1 रुपये का सिक्का खो जाता था । एक आदत सी बनगई थी कुछ भी खो जाए दूब बांधो और सुरु हो जाओ,अब यर धीरे धीरे बिलुप्त हो रही है। 

बिल्ली हत्या,सोना दान

अगर आप ने बिल्ली को मार दिया और बिल्ली मार गयी तो समझो एक सोने की बिल्ली बनके दान करना पड़ेगा। अरे भाई बिल्ली के बराबर सोना किसके पास है।अगर नही दान किये तो भीख मांगनी पड़ेगी,बाप रे बाप इतना डरा देने वाला अपवाह ,क्या आप भी अपने बचपन के दिनों में इसे मानते थे।अब पढ़े लिखें समाज से ये प्रथा बिलुप्त हो रही है।

झूठ बोले कौवा कटे

झूठ बोलेगे तो कौवा चोंच मार के भाग जाएगा इसी डर से बच्चे झूठ नही बोलते थे ।पर कुछ चतुर सिंह ठू स्टार थे वो झूठ बोल देते थे ,और मन मे सोचते भलभेष कौवा काट ली देखल जाइ ।क्या आप ने कौवे के डर से सच बोला है।

मदारी का सीधा

जब मदारी खत्म हो जाता था तब वो मदारी वाला सीधा लेने कर लिए बोलता था और कहता था मेरे तीन तक गिनते ही घर से चावल दाल सीधा लेकर आना और गिनती पूरा होते ही जगह छोड़ देना नही तो ये साँप गले में जाकर लटक जाएगा। और कहता जो सीधा नही देगा साँप रात में उसके बिस्तर पर आएगा ,हम दौड़ कर घर से लाकर दे देते थे। क्या आप कभी डरे हैं ऐसी संबाद से ,क्या आप सीधा लेकर देते थे।

अंडा कटाओ ,चोर का पता चलेगा

अगर आप का कोई कीमती सम्मान किसी ने चुरा लिया हो और पूछने पे न बात रहा हो तो अंडा कटवा दो किसी मौलबी से दुआ कराके ।जो चोरी किया होगा उसके मुँह से खून आने लगेगा और वो दौड़ता हुआ आप के पास आएगा और आप का सामान दे देगा। ऐसा कभी हुआ है क्या ? आप इस पर कितना बिश्वास करते हैं हम जरूर बताएं।

संतरे का बीज पेट मे उगेगा

संतरे के साथ उसका बीज मत खाना नही तो वो जाके पेट में उग जाएगा,इसी दर से सब बीज निकल के फेक देते थे चाहे संतरा हो या सेब या और कोई फल ।माँ कसम आज वो बाँदा मिल जाता जिसने ये अपवाह फैलाई थी तो उसको अपने पेट के सारे बगीचे दिख देता ,क्योंकि मैं बीज को खा लेता था।

छूरी लावो मूडी कटी

जब तगड़ी धूप होती यानी लूह के दिनों में जब हवाओ का तेज घूमता चक्र जैसा बॉण्डल उठता तो बोलते थे हाथ बांध लो या फिर मूठा बांध नही तो आएगा और उड़ा ले जाएगा । कुछ होशियार लोग बोलते थे कि जब पास आये तो बोलना की छूरी लावो मूडी कटी और वो खत्म हो जाएगा डर के मारे सब वही कहने लगते थे और वो शांत हो जाता था । सब यकीन कर लेते थे पर आज पता चला कि वो हगते में बटेर मारने जैसा था।

लकड़ी खड़ी तो समझो खड़ी दुपहरी

जब आम के मौसम में हम लोग बगीचे में आप ढूढ़ने जाते थे और घुमते घूमते समय का पता नही चलता था तब उसमें से कोई आईंस्टीन बन जाता था बोलता था हाथ की हथेली पे एक लकड़ी तिनका रखो अगर वो खड़ी हो गयी सीधा सीधा तो समझो कि 12 बज रहे हैं।लकड़ी खड़ी तो समझो खड़ी दुपहरी,आप कितना मानते थे इस बात को हमे जरूर बताएं।

तैरने के लिए भौरा पीलो

अगर आप को पानी मे तैरना नही आ रहा है और आप तैरना सिख रहे हो कई दिनों से फिर भी नही सीख पा रहे हो तो भौरा यानी पानी में तेजी से तैरने वाला एक कीड़ा उसे पीस कर पी लो और आप तैर कर गोल्ड मैडल ला सकते हो । क्या आप नई पिया है अगर हाँ तो छी छी। 

कुकरमुत्ता,कुत्ते का पिसाब

जिसे आज हम मसरूम के नाम से जानते है उसे अगर बचपन मे एक आदि कही खेत खलियान में देख लेते तो तोड़ लेते थे । वो बिल्कुल बारिस की छतरी की तरह होता था,जो तोड़ता उसे सब चिढ़ाते थे कि कुत्ते के मूत्र से ऊगा है ये उसने छू दिया अब मुझे मत छूना ।क्या आप का भी मानना था कि सच मे वो कुत्ते का मूत्र था। 

आत्मभाव 

ये तो थे 10 पर ऐसे कई कारनामे थे आप बताये आप को कौन सा पसंद आया | बचपन के 10 अंधविश्वास जो हम सब आंखे मूंद कर मान लेते थे। ये कैसा पोस्ट रहा ,हमे comment करके ,अगर आप ने कुछ और किया हो बचपन में ऐसे ही कारनामे तो comment में लिख भेजे हमे।
और आप अपने बचपन को कितना मिस करते हैं जरूर से बताये। आप के साथ बचपन की कुछ अजीब अनहोनिया हुई थी तो कमेंट करें। पोस्ट अच्छा लगा हो तो दोस्तों के साथ share कर दे Whatsapp ,facebook पर। पोस्ट पढ़ने के लिए अपना कीमती समय देने के लिए आप को धन्यवाद
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